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श्री प्रह्लादराय गोयनका जब भी पर्यावरण संरक्षण और गंगा की बात आती है एक नाम जेहन में आता है वह है प्रह्लादराय गोयनका। उनकी पहचान सफल उद्यमी और व्यवसायी के तौर पर थी ही मगर सन् 2010 में हरिद्वार में आयोजित कुम्भ मेले ने उनके जीवन की दिशा ही बदल दी। इस मेले में उन्होंने गंगाा की महत्ता को जाना और हर की पेड़ी पर स्नान करते – करते गंगा को स्वच्छ करने के लिए प्रयास करने का संकल्प लिया। यहीं उन्होंने स्वयं को गंगा पुत्र मानते हुए अपना नाम गांगेय धारण कर लिया। कुम्भ से लौट कर गांगेय अपने संकल्प को पूरा करने में जुट गए। उन्होंने गंगा मिशन की स्थापना की। अकेले ही काम में जुट गए। हर वर्ग और हर समाज के लोगों को उन्होंने गंगा मिशन से जोड़ा। कभी गंगा के घाटों की सफाई का बीड़ा उठाया तो कभी गंगा के तटवर्ती इलाकों को हरा भरा करने का। वे हर सप्ताहांत किसी गंगा घाट की सफाई करते हुए या किसी मैदान में वृक्षारोपण करते हुए या पर्यावरण से जुड़े किसी काम में लगे मिलते हैं। पर्यावरण संरक्षण की दिशा में काम करते हुए आपने हावड़ा और कोलकाता के उपनगरों के कई तालाबों का उद्धार करवाया है। इनमें से कई ऐसे भी थे जिन पर लोगों ने अतिक्रमण कर लिया था। ऐसे तालाबों का उद्धार करना आसान काम नहीं था, इसके लिए कभी कानूनी कार्रवाई की धमकियां मिली तो कभी समाजकंटको की धमकियों का सामना करना पड़ा, लेकिन गोयनका अपने संकल्प से नहीं डिगे जो सोचा उसे पूरा करने के लिए जुटे रहे। गोयनका ने गंगा के तटवर्ती इलाकों में पर्यावरण संरक्षण के लिए बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण करने का संकल्प लिया । अपने संकल्प पर अडिग गोयनका पिछले 7 सालों में सात लाख से अधिक वृक्ष लगा चुके हैं।
गोयनका कवि गुरू रवींद्रनाथ टैगोर की पंक्तियों जोदी तोर डाक शूने केऊ ना आशे तोबे एकला चालो रे को अपना ध्येय वाक्य बनाकर अपने लक्ष्य की पूर्ति में लगे रहते हैं। केवल कोलकाता ही नहीं बनारस के लोग भी गांगेय के मिशन के कायल हैं। आपने बनारस में विद्युत शवदाह गृह गोद लेने के अलावा अनेक सामाजिक कार्यो में मुक्त हस्त दान दिया है और भागीदारी निभाई है। श्री गोयनका ने गंगा मिशन के तहत जलाशयों के पुनरुद्धार क अलावा शौचालयो के निर्माण, श्मसान घाटों के सुधार जैसे कई महत्वपूर्ण कार्य किये हैं। जहां एक ओर गंगा को लेकर कार्य कर रहे स्वयंसेवी संगठन सरकार एवं अन्य स्रोतों से वित्तीय सहायता लेकर भी केवल खानापूर्ति कर रहे हैं वहीं श्री प्रह्लाद गोयनका अपने ही खर्च से गंगा मिशन के तहत विभिन्न विकास कार्यों को अंजाम दे रहे हैं और जनमानस में गंगा के प्रति जागरुकता ïफैलाने के प्रयास में लगे हुए हैं। श्रीमती निर्मला गोयनका प्रह्लाद जी की सह धर्मिणी और उनकी प्रेरणा का स्रोत हैं। श्रीमती गोयनका श्री प्रह्लाद गोयनका के सामाजिक सरोकारों से जुड़े कार्यों में सदैव सहयोगी रही है। उनके सहयोग के बिना श्री प्रह्लाद गोयनका इन ऊंचाईयों को छू पाते इसमें संदेह है।
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